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कसरत-आराई-ए-वहदत है परस्तारी-ए-वहम / ग़ालिब
Kavita Kosh से
कसरत-आराई-ए-वहदत<ref>एकत्व की अनेक रूपता</ref> है परस्तारी-ए-वहम<ref>भ्रम की पूजा</ref>
कर दिया काफ़िर इन असनामे-ख़याली<ref>काल्पनिक प्रतिमाएं</ref> ने मुझे
हवसे-गुल का तसव्वुर<ref>कल्पना</ref> में भी खटका न रहा
अजब आराम दिया बे-परो-बाली<ref>पंखों का न होना</ref> ने मुझे
शब्दार्थ
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