भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कसीदा सीखने के लिए / बैर्तोल्त ब्रेष्त / उज्ज्वल भट्टाचार्य

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आसान सी बात सीख लो ।
जिनका वक़्त आ चुका है
उनके लिए कभी देर नहीं होती ।
सीखो कखग, यह काफ़ी नहीं, लेकिन
सीखो इसे । हिम्मत न हारो ।
शुरू करो. तुम्हें सबकुछ जानना है ।
तुम्हें नेता बनना है ।

निर्वासित इनसान, सीखो.
जेल के क़ैदी, सीखो ।
रसोई में औरत, सीखो ।
बड़े-बुजुर्गों, सीखो !
तुमको नेता बनना है ।

बेघर इनसान, स्कूल चलो !
ठिठुरनेवाले, जानकारी हासिल करो !
भूखे इनसान, पकड़ो किताब : ये है हथियार ।
तुम्हें नेता बनना है ।

शर्माओ मत पूछने से, साथी !
कुछ भी मान नहीं लेना है
ख़ुद परखो !
जो तुमने ख़ुद पता नहीं किया
वह तुम्हें पता नहीं ।
हर चिट्ठे की जाँच करो
पैसे तुम्हें चुकाने हैं.
हर चीज़ का हिसाब रखो
पूछो : ये आया कहाँ से ?
तुम्हें नेता बनना है।

रचनाकाल : 1930-31

मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य