भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कहना से ऊनई कारी बदरिया / बुन्देली

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कहना से ऊनई कारी बदरिया
कहना बरस गये मेघ मोरे लाल।
ससुरे से उनई अरे कारी बदरिया,
मयके बरस गये मेह मोरे लाल।
कौना ने बो दई लटक कंकुनिया,
कौना ने सठिया धान मोरे लाल।
ससुरा ने बो दई लटक कंकुनिया
बाबुल ने सठिया धान मोरे लाल।
कौना के नींदे घर की निदइया,
कौना के लगे हैं मजूर मोरे लाल।
ससुरा के नींदे घर के निंदइया,
बीरना के लगे हैं मजूर मोरे लाल।
कौना के काटे बे घर के कटइया,
कौना के काटे मजूरे मोरे लाल।
ससुरा के काटे घर के कटइया,
बीरना के काटे मजूर मोरे लाल। कहना...