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कहमाँहि हरदी जलम लेले, कहमाँहि लेले बसेर / मगही
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मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कहमाँहि<ref>किस जगह</ref> हरदी जलम लेले<ref>लिया</ref> कहमाँहि लेले बसेर<ref>बसेरा, वास स्थान</ref>
हरदिया मन भावे।
कुरखेत<ref>जोड़ा-कोड़ा खेत</ref> हरदी जलम लेले, मड़वा में लेलक<ref>ले लिया</ref> बसेर,
हरदिया मन भावे॥1॥
पहिले चढ़ावे बराम्हन लोग, तब चढ़ावे सभलोग,
हरदिया मन भावे॥2॥
शब्दार्थ
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