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कहमाँ गमोलँ तोहूँ एता दिन सिवजी / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कहमाँ गमोलँ<ref>बिताया</ref> तोहूँ एता<ref>इतना</ref> दिन सिवजी, पियरी<ref>पीले रंग</ref> जनेउआ कहाँ पावल<ref>पाया</ref> हे।
गेलियो<ref>गये। थे</ref> हम गेलियो गउरा तोहरो नइहरवा, बराम्हन रचल धमार<ref>उछल-कूद</ref> हे।
एता दिन हमें गउरी सासुर<ref>ससुराल में</ref> गमउली<ref>गँवाया, बिताया</ref> सुखे<ref>मुख से</ref> सुखे गेल ससुरार हे॥1॥
तुहूँ गमौलऽ सिउजी अइसे से ओइसे, नयना काजर कहाँ पाव<ref>पासा</ref> जी।
गेलियो हम गउरा हे तोहरो नइहरवा, सरहजवा रचल धमार हे।
ओहु जे<ref>वह</ref> सरहोजिया हे उमिर के<ref>उम्र</ref> काँचल<ref>कच्ची, कमसिन</ref> दिहलन कजरा लगाय हे॥2॥
तोहूँ जे हकऽ<ref>हो</ref> सिउजी अइसे से ओइसे, पियर धोतिया कहाँ पाव जी।
गेलियो से गेलियो गउरी तोहरो नइहरवा, सरवा<ref>साला</ref> रचल धमार हे।
सरहजवा हथी गउरी काँचे से बुधिया<ref>बुद्धि</ref> देलन धोतिया रँगाय हे॥3॥
कहमाँ गमवलऽ सिउजी मास पखवरवा<ref>पखवारा, पक्ष</ref> पउआँ<ref>पउआँ भराव = पैर में महावर लगवाया</ref> कहाँ भराव जी।
गेलियो हम गेलियो गउरा तोहरो नइहरवा, नउआ<ref>नाई</ref> रचल धमार हे।
नउआ जे हकइ<ref>है</ref> गउरा ओहु छोट जतिया<ref>छोटी जाति का</ref> भरि देलक<ref>दिया</ref> हमरा के पाँव हे॥4॥
कहमाँ से अयलऽ सिउजी एता मोटरी<ref>गठरी</ref> लेके<ref>लेकर</ref> कहमाँ पयलऽ<ref>पाये, किये</ref> कलेउ<ref>दिन का भोजन</ref> हे।
गेलियो जे हम गउरा तोहरो नइहरवा से, सासुजी देलन सजाय हे।
एक खइँचा<ref>दौरा, बाँस का बना टोकरा</ref> देलन गउरा पुआ<ref>आटे, मैदे आदि का बनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध पकवान, जो तेल या घी में पकाया जाता है</ref> पकमनमा, दुइ खइँचा लाइ<ref>धान के चावल को भूनकर गुड़ के पाक में बनाया जाने वाला प्रसिद्ध पकवान</ref> मिठाइ हे॥5॥
एतना जे सुनलन गउरा गेंठरी उठवलन, धरि देलन कोठिया<ref>अन्न रखने के लिए मिट्टी का ऊँचा, गोला या चौकोर, ढक्कनदार बनाया गया घेरा</ref> के साँधेref>कंधे पर</ref> हे।
हमर नइहरवा सिउजी सब दिन उरेहल<ref>शिकायत की, आलोचना की, दोष निकालते रहे</ref> काहे गेलऽ<ref>गये</ref> ससुरार हे॥6॥
सास ससुरवा गउरा हथी गँगाजलिया<ref>गंगाजल की तरह पवित्र</ref> सार<ref>साला</ref> सरहज कमल फूल हे।
ससुरा के लोग हथी लाइ मिठइया, रोज जायब ससुरार हे॥7॥

शब्दार्थ
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