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कहमा रे उतरलनि राजा, सभे आयल सोनरबा / अंगिका लोकगीत

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कहमा रे उतरलनि राजा, सभे आयल सोनरबा।
बैठी गेलअ बाबा के दुआर जी॥1॥
हाँ रे, जैसन टिकुली तोहें, गढ़िहें रे सोनरबा।
झलकैते जैते ससुरार जी॥2॥
हाँ रे, लाली डोलिया, सबुज रँग ओहरबा<ref>पालकी के ऊपर डाला हुआ परदा</ref>।
लागि गेलअ बतीसो कहाँर जी॥3॥
हाँ रे, एक कोस गेली सीता, दुइ कोस गेली।
तीसरे कोस लागल पियास जी॥4॥
हाँ रे, ओहार फेरिए<ref>फेरकर; हटाकर</ref> जबे, हेरथिन<ref>देखती है</ref> सीता दाइ।
छुटि गेलै माइ बाप के राज जी॥5॥
हाँ रे, गोर लागौं<ref>गोड़ लगाना; प्रणाम करना</ref> पैयाँ परौं, अगिला कहरिया।
तिल एक<ref>थोड़ी देर के लिए; एक क्षण के लिए</ref> डाँरी<ref>पालकी</ref> बिलमाव<ref>ठहराओ</ref> जी॥6॥
बाबा के पोखरिया सीता, पीछे छूटी गेलौ।
सामी के पोखरिया पीओ पानी जी॥7॥

शब्दार्थ
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