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कहाँसहुँ आइलअ लाया लेहरिया / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

चूड़ी बेचने वाला चूड़ी बेचने आया। वह नायिका के सौंदर्य पर मुग्ध होकर उसे एकटक निहारने लगा। नायिका ने चूड़ी का भाव पूछा। लहेरी ने जरूरत से अधिक कीमत बताकर उसकी अर्थहीनता से नाजायज फायदा उठाना चाहा, लेकिन नायिका ने यह कहकर उसे टका-सा जवाब दिया कि मेरा प्रियतम तुमसे भी अधिक रसिया है।

कहाँसहुँ<ref>कहाँ से</ref> आइलअ लाया<ref>नया</ref> लेहरिया<ref>लहेरी; चूड़ी का व्यापार करने वाला</ref>, कहाँमाँहि होरल दोकान मुरली।
उतर<ref>उत्तर दिशा से</ref> सेॅ आइलअ लाया लेहरिया, कचोराहिं<ref>कचोर में; एक स्थान</ref> जोरल दोकान मुरली॥1॥
किय देखि आँहे लेहरिया भकचकी<ref>चकाचौंध</ref> लागलों, किय देखि धरले धियान मुरली।
तोहरो सूरत देखि भकचकि लागलऽ, तोरा देखि धरले धियान मुरली॥2॥
कै रुपइया रे लेहरिया भैया बँहिया चूड़ी, कै रुपइया रेसमी चूड़ी मुरली।
पाँचे रुपइया गे धिया बँहिया चूड़ी, दसे रुपइया रेसमी चूड़ी मुरली॥3॥
आरो<ref>और</ref> दाम देतअ सासु ननदी, आरो दाम लिहबअ चोराय मुरली।
तोरअ सन आँरे लेहरिया मोर पिआ रसिया, आधे राती बँसिया बजाय मुरली॥4॥

घोघटा: कन्या-निरीक्षण

शब्दार्थ
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