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कहाँ कै ऊजे बाम्हन, बिनती तोहारियो हे / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कहाँ कै ऊजे बाम्हन, बिनती तोहारियो हे।
कौने नगर कैने जाय छै, सिया राम के बिआह हे॥1॥
कै सेॅ ऐलै हाथियो घोड़बा, कै सेॅ ऐलै बरियात हे।
कै सेॅ ऐलै बबुआ रामेचंदर, सिया राम के बियाह हे॥2॥
दस सेॅ ऐलै हाथियो घोड़ा, पचीस सेॅ लोक बरियात हे।
चार भाई ऐलै बबुआ रामेचंदर, सिया राम के बिआह हे॥3॥
कहाँ भै उतरत हाथियो घोड़बा, कहाँ भै लोग बरियात हे।
कहाँ भै उतरत बबुआ रामेचंदर, सिया राम के बिआह हे॥4॥
कुरखेत<ref>जोता-कोड़ा खेत</ref> उतरत हाथियो घोड़बा, दुअरियो लोक बरियात हे।
मड़बहिं उतरत बबुआ रामेचंदर, सिया राम के बिआह हे॥5॥
किए किए खायत हाथियो घोड़बा, किए किए लोक बरियात हे।
किए किए खायत बबुआ रामेचंदर, सिया राम के बिआह हे॥6॥
घास भूसा खायत हाथियो घोड़बा, दही चूड़ा लोक बरियात हे।
पाकल पान खैता बबुआ रामेंचदर, सिया राम के बिआह हे॥7॥
किए दै समदब<ref>मनाऊँगा</ref> हाथियो घोड़बा, किए दै लोक बरियात हे।
किए दै समदब बबुआ रामेचंदर, सिया राम के बिआह हे॥8॥
दान दै समदब हाथियो घोड़बा, दहेज दै लोक बरियात हे।
धिआ दै समदब बबुआ रामेचंदर सिया राम के बिआह हे॥9॥

शब्दार्थ
<references/>