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कहाँ छै हमरोॅ हिन्दुस्तान / जटाधर दुबे

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कहाँ छै हमरोॅ हिन्दुस्तान
वेद ज्ञान के पुण्यभूमि में,
रोजे बिकै ईमान
कहाँ छै हमरोॅ हिन्दुस्तान।

माटी जेकरोॅ एŸोॅ पावन
जहाँ सदा धरती मनभावन
जेकरा देखै लेॅ ललचावै,
दुनिया सकल जहान
कहाँ छै हमरोॅ हिन्दुस्तान।

राम, कृष्ण, शिव, बुद्धोॅ के धरती,
रावण के बढ़ल्होॅ छै बस्ती
बरजोरी सीता संग होय छै,
घर प्रेम से खाली होय छै
रात अंधेरिया कहिया हटतै,
कहिया होतै विहान
कहाँ छै हमरोॅ हिन्दुस्तान।

बगरोॅ, हरिकेल घटलोॅ जाय छै,
चिड़िया चुनमुन मिटलोॅ जाय छै
लालच, भूख जे एŸोॅ बढ़लै,
जीव जंतु हलकान
कहाँ छै हमरोॅ हिन्दुस्तान।

सोना के चिड़िया उड़ी गेलै,
नैतिकता केॅ बेड़ी लागलै
हँसै लुटेरा, बेदम जनता,
रोजे मरै किसान
कहाँ छै हमरोॅ हिन्दुस्तान।

शहरोॅ में उद्योग बढ़ै छै
शहरोॅ में संस्थान बढ़ै छै
घर छोड़ी केॅ भागै जनता,
गाँव भेलै वीरान
कहाँ छै हमरोॅ हिन्दुस्तान।

गाँव-शहर आतंकी घुसलै,
ऑफिस-ऑफिस रिश्वत बढ़लै,
सीमा पर होय छै रोज़ शहादत
जन मन छै हैरान
कहाँ छै हमरोॅ हिन्दुस्तान।

दुख पुलवामा के कहियोॅ नै घटतै
जब तक धरती पर पाकिस्तान रहतै
शौर्य शक्ति भारत सेना के,
मिटतै पाप निशान
कहाँ छै हमरोॅ हिन्दुस्तान।

देश शांति के बगिया बनतै,
विश्वगुरु फेरू भारत होतै।
आस विश्वास जटाधर केरोॅ,
होतै हमरोॅ देश महान
कहाँ छै हमरोॅ हिन्दुस्तान।