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कहाँ जा रहे हो? / सुमन पोखरेल

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महफिलों में मेरे ही गजल जो गा रहे हो
यकीन हुवा के खतूत मेरे पा रहे हो
 
मैं हूँ तंग किस्मत, या तेरी बदनसिबी है
जाना है मुझे आज ही, तुम कल आ रहे हो
 
महज इत्तफाक है, या मामला कुछ और है?
यूँ ख्वाबो में आ रहे हो, जा रहे हो
 
चेहरा देखते हो, या है तसब्वुर में कोई?
आइने से इस तरह क्यों शरमा रहे हो

जला कर चराग ए वफा सुना है कि तुम
साथ तुफान ए मुहब्बत भी ला रहे हो

ठहर जाओ, दिल तोड कर सुमन का
कहाँ जा रहे हो, कहाँ जा रहे हो ?