भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कहाँ पर हो रही किसकी ढिलाई आँख से देखो / नन्दी लाल
Kavita Kosh से
कहाँ पर हो रही किसकी ढिलाई आँख से देखो।
शमा दरबार की किसने जलाई आँख से देखो।
जहाँ तक हो सके उसकी मदद को हाथ फैला दो,
किसी मजबूर की जब जब रुलाई आँख से देखो।
कमी अपनी पे अपनी आँख परदा डाल रखती है,
बुराई देखनी अपनी परायी आँख से देखो।
ये दुनिया है किसी की बात पर विश्वास मत करिये,
तभी करिये यकीं जब खुद बुराई आँख से देखो।
कलेजा हाथ में आ जायेगा उस रोज कुछ पल को,
जुदा माँ बाप बेटी की बिदाई आँख से देखो।
बड़े सौभाग्यशाली हो जो बेटा रोटियाँ देता,
बुढ़ापे में अगर उसकी कमाई आँख से देखो।
भरोसे बाबुओं के मत रहो सरकार दफ्तर में,
पड़ी है दूध पर कितनी मलाई आँख से देखो।