कहाँ भै उपजले नौग गुरिया / अंगिका लोकगीत
कहाँ भै उपजले नौंग<ref>लौंग</ref> गुरिया<ref>गुच्छा; पौधा; फूल</ref>, औरो जाइफर<ref>जायफल; एक सुगंधित फल, जो मसाले और दवा में काम आता है</ref> गुरिया हे।
माइकहाँ भै उपजल कवन लाले बाबू हे, हाथे में रूमाल सोभै हे॥1॥
कुरखेते<ref>जोता-कोड़ा खेत</ref> उपजल नौंगा गुरिया हे, औरो जाइफर गुरिया हे।
माइ हे, अम्माँ कोखी जनमले कवन लाले बाबू, हाथें रूमाल सोभै हे॥2॥
कहाँ भै राखब नौंग गुरिया हे, औरो जाइफर गुरिया हे।
माइ हे, कहाँ भै राखब कवन लाले बाबू, हाथें रूमाल सोभै हे।
छतिया चनन सोभै, सोने मोरी बिआह हुए हे॥3॥
दुअरिया राखब नौंग गुरिया हे, औरो जाइफर गुरिया हे।
माइ हे, कोहबर राखब कवन लाले बाबू, हाथें रूमाल सोभै हे।
छतिया चनन सोभै, कौने मोरी बिआह हुए हे॥4॥
किए किए खैताँ<ref>खायेंगे</ref> नौंग गुरिया हे, औरो जाइफर गुरिया हे।
किए किए खैताँ कवन लाले बाबू, हाथें रूमाल सोभै हे।
छतिया चनन सोभै, सोने मोरी बिआह हुए हे॥5॥
घास भूसा खैता नौंग गुरिया, औरो जाइफर गुरिया हे।
पाकल पाने खैता कवन लाले बाबू, हाथें रूमाल सोभै हे।
छतिया चनन सोभै, सोने मोरी बिआह हुए हे॥6॥