कहाँ वो भाव गया प्यार बाँटने वाला
तुम्हारा स्वर है अभी भी उलाहने वाला
हमारी झोली ही कम पड़ गई तुम्हें क्या दें
न तुम-सा दाता है न हम-सा माँगने वाला
मैं तो पत्थर ही रहा और रहूँगा शायद
मिला न कोई भी अब तक तराशने वाला
कि शहसवार तो मिलते हैं हर क़दम पे यहाँ
समय के अश्व को है कौन थामने वाला
गुमान इतना भी अच्छा नहीं है जाने-यहाँ
नहीं मिलेगा कोई हम-सा चाहने वाला