भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कहाँ से आयो लखेरा रे, जमुदरिया के बाबा / पँवारी
Kavita Kosh से
पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कहाँ से आयो लखेरा रे, जमुदरिया के बाबा
जैपुर सी आयो लखेरा रे जमुदरिया के बाबा
हरी पीली चूड़ियाँ लायो रे जमुदरिया के बाबा
ओनी समदिन खऽ चूड़ी पेहराजो रे जमुदरिया के बाबा
ओनी समदिन को हाथ गठीलो रे जमुदरिया के बाबा
दारी खऽ दचड़-दचड़ पटक-पटक चूड़ी पेहराओ रे
जमुदरिया के बाबा
कहाँ सी आयो लखेरो रे, जमुदरिया के बाबा