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कहाँ से जोग आयल, कहाँ जोग घुरमई गे माई / मगही
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मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कहाँ से जोग आयल, कहाँ जोग घुरमई<ref>चक्कर काटता है</ref> गे माई॥1॥
दुलरइता दुलहा ही<ref>दुलहा के यहाँ</ref> से जोग आयल।
तेलिया दुहरिया<ref>द्वार, दरवाजा</ref> जोग घुरमइ गे माई।
दुलरइता देइ<ref>देवी</ref> के जाके जोग लग गे माई॥2॥
शब्दार्थ
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