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कहाँ से सुग्गा आयल, नेह लगायल हे / अंगिका लोकगीत
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♦ रचनाकार: अज्ञात
इस गीत में सुग्गा दुलहे का प्रतीक है। दूर देश से सुग्गा आया और बसेरा ले लिया। उसे पिंजड़े में रखा गया तथा वहीं उसे खिलाया-पिलाया गया। लेकिन इस सुग्गे का पोसना बेकार है; क्योंकि जब यह बड़ा होगा, तब उड़ जायगा।
कहाँ सेॅ सुग्गा आयल, नेह लगायल हे।
कहँमाहिं लेल बसेरा अमरित फल भोजन हे॥1॥
दूर देस सेॅ सुग्गा आयल, नेह लगाबल हे।
निअरहिं<ref>नजदीक ही</ref> लेल बसेरा, अमरित फल भोजन हे॥2॥
कौने बाबा पिंजरा गढ़ाबल, सुगाहिं पोसल हे।
कौने दादी देल अहार, अमरित फल भोजन हे॥3॥
अपन दादा पिंजरा गढ़ाबल, सुगाहिं पोसल हे।
ऐहब<ref>सौभाग्यवती</ref> दाबी देल अहार, अमरित फल भोजन हे॥5॥
ऐसन सुगा जनु पोसब, नेह लगायब हे।
सुगबा त होयत सियान, उड़िय घर जायत हे॥5॥
शब्दार्थ
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