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कहानी दिलों की लिखे जा रहे है / रंजना वर्मा
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कहानी दिलों की लिखे जा रहे हैं
सभी जख़्म खुद ही सिये जा रहे हैं
नहीं जानते झूठ व्यापार फिर भी
भलाई सभी की किये जा रहे हैं
कहीं रूठ जाये न उल्फ़त हमारी
मुहब्बत के हाथों बिके जा रहे हैं
किसी को है रोटी मयस्सर न होती
खजाने किसी के भरे जा रहे हैं
नहीं वस्ल है अपनी किस्मत में लेकिन
अधूरी ये ख़्वाहिश किये जा रहे हैं
कोई ग़म न हो जिंदगी में तुम्हारी
दुआ रब से ये माँगते जा रहे हैं
कहा अलविदा बेदिली से है तुमने
पलट के तुम्हे देखते जा रहे हैं