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कहा जो भी था अनकहा हो गया / रंजना वर्मा

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कहा जो भी था अनकहा हो गया
ये दिल जिस घड़ी आपका हो गया

कभी आप या हम न थे बेवफ़ा
न जाने ये क्यों फ़ासला हो गया

चले हाथ मे हाथ डाले हुए
मगर रास्ता ही जुदा हो गया

तराने थे खुशियों के गाये मगर
खुशी का वो लम्हा विदा हो गया

मसर्रत रही ख़्वाब सी दूर ही
अजब दर्द का सिलसिला हो गया

कभी जश्न थे जब मनाने लगे
अचानक कोई हादसा हो गया

चुराते रहे हम नज़र वक्त से
मगर आपसे सामना हो गया