कहि रहल अछि मोन हम्मर राति जएते बीति।
प्रत्येक भोरक कोड़मे,
कोनो-ने-कोनो काज
प्रत्येक भोरक ठोरपर,
कोनो-ने-कोनो नाम।
काजकेर एहि बोझ तर
आ नामकेर एहि खोजमे,
जिनगिये जाएत बीति !
बीतैत पलकेर सोच
कहियो भेल अछि की ?
काजक ई लागल ढेर
हमरार रोच कहियो भेल अछि की ?
आबओ कोनो बिहाड़ि जिननी हमर जाएत जीति !