भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कहीं घूम आओ / ज्योतिप्रकाश सक्सेना
Kavita Kosh से
इत्ती-सी बात पर
इत्ता-सा गुस्सा!
क्या हुआ जो मम्मी ने
तड़के ही जगा दिया,
उठते ही पापा ने-
कमरे से भगा दिया।
चाचा ने चिज्जी में
माँग लिया हिस्सा!
क्या हुआ जो दादी ने
खा लिया तुम्हारा आम,
दादा ने नहीं किया
कोई भी तुम्हारा काम।
बड़बोली दीदी ने
कह दिया कुछ वैसा!
अच्छा, अब पौली तुम
कहीं घूम आओ,
डौली के संग वहीं
आइसक्रीम खाओ।
प्यार भरी बातों से
खत्म करो किस्सा!