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कहीं जिन्दगी में हम तुम संयोग ऐसा पाऐं / बलबीर सिंह 'रंग'
Kavita Kosh से
कहीं जिन्दगी में हम तुम संयोग ऐसा पाऐं।
कभी गीत तुम सुनाओ, कभी गीत हम सुनाऐं।
आकाश गुनगुनाऐ
धरती न बाल पाऐ,
जो भी हो जिसको कहना
कभी सामने तो आऐ।
कहीं यामिनी में हम तुम संयोग ऐसा पाऐं
कभी दीप तुम जलाओ, कभी दीप हम जलाऐं।
कहीं जिन्दगी में...
नहीं चाहते सितारे
कभी चांदनी पधारे,
रहे मेघ सिर पटकते
सौदामिनी के द्वारे।
कहीं चांदनी में हम तुम संयोग ऐसा पाऐं।
कभी तुम हमें मनाओ, कभी हम तुम्हें मनाऐं।
कहीं जिन्दगी में...
कह तक न पाऊँ
ऐसा उन्माद भी नहीं है,
कुछ कहते डर रहा हूँ
कुछ याद भी नहीं है।
कहीं बेबसी में हम तुम संयोग ऐसा पाऐं।
कभी याद तुम न आओ, कभी याद हम न आऐं।
कहीं जिन्दगी में...