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कहीं से ले आओ यादें / नादिया अंजुमन / राजेश चन्द्र
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कहीं से
ले आओ यादें
पारदर्शी पानी की ।
विस्मृति की
इस नदी में,
मेरी रूह लिथड़ी पड़ी है
रेत में ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र