भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कही पेठाएम ससुर जी से, / मगही

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कही पेठाएम<ref>खबर भेजूँगी</ref> ससुर जी से,
झट दिना<ref>जल्दी, तत्काल</ref> गवना करावऽ अगहन में।
डेरा पड़ल हइ<ref>है</ref> राजा बघिअन में॥1॥
कही पेठाएम बारी दुलहिन जी से,
थोड़ा दिन गम खालऽ नइहर में।
डेड़ा पड़ल राजा के बघिअन में,
झूलन पड़ल राजा के बघिअन में॥2॥
कही पठाएम भइँसुर<ref>भसुर, पति का बड़ा भाई</ref> जी से,
झट दिना गवना करावऽ अगहन में।
डेरा पड़ल राजा के बघिअन में,
झूलन पड़ल राजा के बघिअन में॥3॥
कही पेठाएम बारी भावह<ref>छोटे भाई की पत्नी</ref> जी से,
थोड़ा दिन गम खालऽ नइहर में।
डेरा पड़ल राजा के बघिअन में,
झूलन पड़ल राजा के बघिअन में॥4॥
कही पेठाएम देवर जी से,
झट दिना गवना करावऽ अगहन में।
डेरा पड़ल राजा के बघिअन में,
झूलन पड़ल राजा के बघिअन में॥5॥
कही पेठाएम बारी भउजी जी से,
थोड़ा दिन गम खालऽ नइहर में।
डेरा पड़ल राजा के बघिअन में,
झूलन पड़ल राजा के बघिअन में॥6॥
कही पेठाएम सइँया जी से,
झट दिना गवना करावऽ अगहन में।
डेरा पड़ल राजा के बघिअन में,
झूलन पड़ल राजा के बघिअन में॥7॥
कही पेठाएम बारी धनि जी से,
दोसर खसम करलऽ नइहर में।
डेरा पड़ल राजा के बघिअन में,
झूलन पड़ल राजा के बघिअन में॥8॥
कही पेठाएम सामी जी से,
तोरा अइसन गुलाम रखम<ref>रखूँगी</ref> नइहर में।
डेरा पड़ल राजा के बघिअन में,
झूलन पड़ल राजा के बघिअन में॥9॥

शब्दार्थ
<references/>