कहोगे बात तो हटकर मिलेगी।
करोगे प्यार तो सटकर मिलेगी।।
भले ही काम में दिनभर रहेगी।
ढलेगी शाम तो हँसकर मिलेगी।।
करेगी रोज किच-किच शाम तक ही।
चढ़ेगी रात तो मुड़कर मिलेगी।।
मुसीबत आ खड़ी होगी वहाँ पर।
दिलों की बात दो कहकर मिलेगी।।
बँधी है गाँठ नखरों से हजारों।
नदी की धार-सी बहकर मिलेगी।।
निभाना है तुझे वादा किया तो।
वही वह रात में लेकर मिलेगी।।