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कहो फिर किसलिये है जिन्दगानी / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
कहो है किसलिये ये जिन्दगानी
ये सच है या कि एक झूठी कहानी
अगर तुम जिंदगी में आ गये तो
बड़ी होगी तुम्हारी मिहरबानी
बरस जायेंगे जब उल्फ़त के बादल
फ़िज़ा हो जायेगी बेहद सुहानी
तुम्हारा प्यार इक बहती नदी है
लहर हर एक देती है रवानी
बहुत जाना जरूरी था तुम्हारा
न फिर क्यों दे गये कोई निशानी
भुला बैठे जिन्हें हैं लोग सारे
तुम्हें फिर हैं वही बातें बतानी
पुराने संस्कारों को जगाओ
महकने फिर लगेगी रातरानी