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कहो मम्मी, कहो पापा / घमंडीलाल अग्रवाल
Kavita Kosh से
कहाँ घूमें, किधर जाएँ-
कहो मम्मी, कहो पापा।
सुधाकर मुसकराता है,
इशारे से बुलाता है,
लिए है हाथ में पैसे-
मिठाई वह मँगाता है।
कि क्या पीएँ, कि क्या खाएँ-
कहो मम्मी, कहो पापा।
पड़ोसी पूछने आते,
रसीले गीत वे गाते,
हमारा मन मचलता है-
हमें भी खूब ही भाते।
गीत हम कौन-सा गाएँ-
कहो मम्मी, कहो पापा।
न यूँ डाँटो, न यूँ मारो,
बिना ही बात फटकारो,
हमें समझो नहीं नटखट-
हृदय का प्यार तो वारो।
चलो सब मिलके मुसकाएँ
कहो मम्मी, कहो पापा!