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कह देते मुझसे एक बार / सरोज सिंह
Kavita Kosh से
मेरा स्नेह, मेरी पूजा,
मात्र प्राक्कथन था तुम्हारे लिए
जल रही थी शंकाएं जब मन में
कह देते मुझसे एक बार
मै उपलब्ध थी, शमन के लिए...
ह्रदय कुंड में स्वाहा किया,
निज अहंकार तुम्हारे लिए
जब दिनोंदिन शेष होती रही प्रेम समिधा
कह देते मुझसे एक बार मैं उपलब्ध थी हवन के लिए...
संबंधो के मंथन में
सदा अमृत ही चाहा तुम्हारे लिए
किन्तु अमृत पान कहाँ सरल है गरल के बिना
कह देते मुझसे एक बार
मैं उपलब्ध थी, आचमन के लिए...