क़ब्रिस्तान में / विस्साव शिम्बोर्स्का
“अचानक ही चल बसा… किसे अन्दाज़ा था?”
“बस तनाव और धूम्रपान… मैं उससे कहता भी था।”
“जी, बेहतर! शुक्रिया!”
“उन फूलों से पन्नी हटा दीजिए!”
“भाई भी दिल के दौरे से मरा था, लगता है कुनबे में ही ये बीमारी है।”
“अरे दाढ़ी में तो आप पहचाने ही नहीं जाते!”
“अपने किए से मरा, हमेशा किसी न किसी झमेले में पड़ा रहता था।”
“अरे वो नए साहब भी तो इस मौक़े पर बोलने वाले थे! कहीं नज़र नहीं आ रहे।”
“काज़ेक वारसा में है, तादेक विलायत गया हुआ है।”
“आप अक़्लमन्द रहे… अकेले आप ही के पास छाता है।”
“इनमें सबसे क़ाबिल वही था — पर अब क्या फ़र्क़ पड़ता है!”
“ये साथ वाला कमरा है… पर बास्का मानेगी नहीं।”
“ हाँ वह ठीक कहता था, पर असल वजह कुछ और ही है।”
“दरवाज़े पर वार्निश भी शामिल है — ज़रा बताओ तो, कुल कितना ख़र्च आया होगा?”
“अण्डे की दो ज़र्दियाँ, एक चम्मच शक्कर।”
“उसका इससे क्या वास्ता, उलझना ही नहीं था।”
“सिर्फ़ नीली और छोटी छोटी।”
“अजी पाँच बार, लेकिन कोई जवाब ही नहीं!”
“मैं कर सकता था, पर आप भी तो कर सकते थे!”
“ग़नीमत है औरत के पास नौकरी तो थी।”
“पता नहीं, शायद रिश्तेदार हों।”
“ये पादरी तो बिल्कुल बेलमोन्दो जैसा दिखता है।”
“इससे पहले मैं क़ब्रिस्तान के इस हिस्से में नहीं आया था।”
“पिछले हफ़्ते मैंने ख़्वाब में उसे देखा, खटका तो मुझे तभी से था।”
“लेकिन बेटी बड़ी सुन्दर है।”
“हाँ भई, हम सब एक ही नाव के सवार हैं।”
“बेवा को मेरी तरफ़ से शोक सन्देश दे देना। मैं अब और नहीं रुक सकता।”
“पर जनाज़े वाली तक़रीर तो लैटिन ही में जँचती है।”
“सब आई गई बात हो गई।”
“फिर मिलेंगे मार्ता!”
“चलो कहीं चलकर बियर पिएँ!”
“फ़ोन करना, फिर बातें होंगी।”
“या तो चार नम्बर की ले लेना, या बारह नम्बर की पकड़ लेना।”
“मैं इस तरफ़ जा रहा हूँ।”
“हम उस तरफ़ जा रहे हैं।”
अँग्रेज़ी से अनुवाद : असद ज़ैदी