भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
क़लम का कल / रत्नेश कुमार
Kavita Kosh से
आएगा-आएगा
क़लम का कल
जाएगा-जाएगा
ग़लत का बल
खाएगा-खाएगा
हरिया का बेटा
गाएगा-गाएगा
जीवन का गीत।