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क़सम है हमें उनको रोने न देंगे / रुचि चतुर्वेदी
Kavita Kosh से
बड़ा ही कठिन वक़्त गुज़रा है हम पर,
मगर उनको अहसास होने न देंगे।
भले इन नयन में समा जाये गंगा,
कसम है हमें उनको रोने न देंगे।
है भूचाल मन में कहाँ जायें अब हम,
हमीं ने मिटायी हैं राहें ये सारी।
न मन्ज़िल का और ना पता है सफ़र का,
इसी सोच में कितनी रातें गुज़ारी।
है आँखों में बाकी अभी नीद थोड़ी,
सपन चाहतों के भी सोने न देंगे॥
भले...॥
हमें हारना भी तो आता नहीं है,
भले ही परीक्षा समय ले रहा हो।
न कमज़ोर है हौसले का ह्रिदय भी,
भले रक्त साँसें भी कम दे रहा हो।
अभी वायु जीवन में जीवन की बाकी,
अभी साँस भी तन को खोने न देंगे॥
भले...॥