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क़स्बे की प्रेमिकाएँ और उनकी मूर्ख चाहतें / नेहा नरुका

Kavita Kosh से
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क़स्बे की प्रेमिकाएंँ मोटरसाइकिल पर प्रेमी से चिपककर बैठना चाहती हैं
क़स्बे की प्रेमिकाएंँ प्रेमी के साथ सिनेमा देखना चाहती हैं
क़स्बे की प्रेमिकाएंँ प्रेमी के गले लगकर देर तक रोना चाहती हैं
क़स्बे की प्रेमिकाएंँ प्रेमी के साथ देर तक सोना चाहती हैं

क़स्बे की प्रेमिकाएंँ प्रेमी के साथ बचपन से लेकर बुढ़ापे तक की बातें कर लेना चाहती हैं
क़स्बे की प्रेमिकाएंँ प्रेमी के साथ रसोई में सालभर का खाना पका लेना चाहती हैं
क़स्बे की प्रेमिकाएंँ प्रेमी के साथ छत पर मोहल्ले भर के गन्दे कपड़े धो लेना चाहती हैं
क़स्बे की प्रेमिकाएंँ प्रेमी के साथ गुसलख़ाने में रगड़-रगड़कर नहा लेना चाहती हैं

क़स्बे की प्रेमिकाएंँ प्रेमी के साथ पहाड़ पर चढ़ना चाहती हैं
क़स्बे की प्रेमिकाएंँ प्रेमी के साथ मैदान में दौड़ना चाहती हैं
क़स्बे की प्रेमिकाएंँ प्रेमी के साथ फैक्ट्री में पसीना बहाना चाहती हैं
क़स्बे की प्रेमिकाएंँ प्रेमी के साथ खेत में दाना उगाना चाहती हैं

क़स्बे की प्रेमिकाएंँ प्रेमी के साथ क़स्बे के बाहर की यात्रा पर निकल जाना चाहती हैं
पर उनके प्रेमियों को उनकी चाहना में कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं है
उनकी दिलचस्पी कहीं और है
पर प्रेमिकाओं का मन रखने के लिए उन्होंने कह दिया है कि उनकी चाहना भी वही है जो प्रेमिकाओं की चाहना है

प्रेमी अकेले में हंसते हैं
किसी-किसी हफ़्ते प्रेमी झुण्ड बनाकर हंसते हैं प्रेमिकाओं पर
कि आखिर वे कितनी निर्भर हैं उनपर
अपनी मूर्ख चाहतों के लिए भी ...