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काँची रे काँची रे / आनंद बख़्शी

 
काँची रे काँची रे, प्रीत मेरी साँची
रुक जा न जा दिल तोड़ के

झूठा है ये गुस्सा तेरा सच्चा नहीं
सच्चे प्रेमी को तड़पाना अच्छा नहीं
वापस ना आऊंगा मैं जो चला जाऊंगा
ये तेरी गलियाँ छोड़ के, ए ए ...

तेरे हाथों में है मेरी डोरी जैसे
कच्चे धागे से मैं बंधा आया ऐसे
मुश्किल है जीना, देदे ओ हसीना
वापस मेरा दिल मोड़के, ए ए ...

काँचा रे काँचा रे, प्यार मेरा साँचा
रुक जा ना जा दिल तोड़ के

रंग तेरे में ये तन रंग लिया
तन क्या है मैने मन रंग लिया
बस चुप ही रहना, अब फिर ना कहना
रुक जा ना जा दिल तोड़ के, ए ए ...