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कांटो / शिवराज भारतीय
Kavita Kosh से
कांटा
थांरो ना‘नो सो
थाकल डील
परस रै पाण
तिलमिलायद्यै
आखो डील।
पग री पीड़
अंतस नै चीर
पूं‘चै
ठेट ताळवै
लोही रा आंसूं टपकांवती
थांरी एक झट
कुळावै
आखै दिन।
थूं आपरो काम कर‘र
फेरूं रैवै त्यार
सिर उठा‘र
जद तांई
नीं फोड़ीजै
थांरो सिर।