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कागज की नाव / मुस्कान / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
लो फिर रिमझिम बरसा पानी
हम कागज की नाव बनाये॥
रफ कॉपी से गुड़िया रानी
तुम भी पन्ना एक निकालो।
बतलाऊँ मैं नाव बनाना
तुम भी अपना काम सँभालो।
मुन्नू तुम वह बबुआ लाओ
इसको नौका में बैठायें।
हम कागज की नाव बनाये॥
लकड़ी की पतवार बना कर
पकड़ा दो हाथों में इस के।
कागज की नन्ही-सी टोपी
पहना दो जो कभी न खिसके।
बाहर भरा गली में पानी
चलो इसे उसमें तैरायें।
हम कागज की नाव बनाये॥
धीरे धीरे रही तैरती
चली गयी है अब धारे में।
बहुत दूर इसको है जाना
क्या बोलें इसके बारे में।
डूब न जाये कहीं बीच में
साथ चलो हम इसके जायें।
हम कागज की नाव बनाये॥