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कागज की नाव / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
चल कागज की नाव
तुझे तो जाना है उस पार।
हइया हो, हइया हो
लहरें तुमको उठा रहीं हैं
हर पल आगे बढ़ा रही हैं
बढ़ती चल तू नाव हमारी
मत रहना मंझधार। हइया हो
लहरों को कर पार तभी तो
पहुँचेगी उस पार॥ हइया हो