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कागतक एक छोटछीन टुकड़ी / कालीकान्त झा ‘बूच’

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कागतक एक छोटछीन टुकड़ी-
एक गोट मोंट सोंट 'नमरी " सँ कहलकैक :-
" तोँ कोना क' भ' सकबह हमर समकक्ष
तोहर पेट पीठ छह आक्रान्त
राजरोगक अनेको कीड़ी सँ
ठोर पर पसरल छह
थुकरल खूनक चकचक छिटका !
हम तोँ- तोँ हम
परस्पर बरोबरि नहि
तोरा छह अवमूल्यक असाध्य घाव
छुटतह नहि
कतबो करबह ग' प्लास्टिक सर्जरी
हम त' सादा छी
ई थिकैक कागती तथ्यक मौलिक अधिकार
जकरा सँ मंडित भ' आब
छीनल अधिकार पयलहुँ अछि
"अवस्से की"- आ नमरी
गदगदा गेल"