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काजर काय पे दइये कारे / ईसुरी
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
काजर काय पे दइये कारे।
बारे बलम हमारे।
साँज भये ब्यारी की बैराँ
करें बिछोना न्यारे।
जब छुव जात अनी जोवन की
थर थर कँपत विचारे।
का काऊ खाँ खोर ‘ईसुरी’
फूटे करम हमारे।