मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
काजर<ref>काजल</ref> के कजरौटी,<ref>काजल पारने-रखने की डंडीदार डिबिया</ref> काजर भल<ref>अच्छा, सुन्दर</ref> सोभेला<ref>शोभता है</ref> हे।
ललना, अँजबो<ref>आँजूँगी</ref> बबुआ के आँख, बेसरिया<ref>नाक में पहनने का आभूषण।</ref>
शब्दार्थ
<references/>