काजल की कोठरी में 
क्या दीवारें होती हैं काली 
क्या रोशनी भी हो जाती है काली उसमें।
मैंने देखा तो नहीं कहीं भी, कभी भी 
काजल से पुती हुयी कोठरी, 
बस सुना है जैसे सुना है आपने।
मुझे पक्का भरोसा है आप जानते होंगे 
कब बनी होगी पहली कोठरी काजल की 
इतिहास में आपने जाना होगा 
कैसी होगी लम्बाई-चौड़ाई उसकी, 
यह भी कि वह कच्ची दीवारों की थी या पक्की।
मैंने तो बस यह सुना है 
उसमें दखल देती रोशनी भी 
हो जाती है काली, 
घुसती हवाएँ वहाँ हो जाती हैं 
बदरंग।
वहाँ बैठे सफेदपोश आदमी की पोशाक 
हो जाती है काली चित्तीदार।
पता नहीं किस शिल्पी ने 
बनाई ऐसी कोठरियाँ 
और क्यों बनायीं, 
फिर उनमें घुसता आदमी 
क्यों उजले पोशाक पहन 
अन्दर जाने की जिद ठाने बैठता है।
क्या कोई शिल्पकार से कह नहीं सकता 
कि न बनाये वह काली कोठरियाँ, 
क्या वह उजला रंग नहीं दे सकता 
काजल की काली कोठरियों को।