भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

काटे कुटे पान लयाये / बघेली

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बघेली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

काटे कूटे पान लयाये
खोखली सुपारी रे
बापौ पूत बिआहन आये
लंगड़ी महतारी रे