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काठ का उल्लू बोलता है / केदारनाथ अग्रवाल

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आदमी नहीं
काठ का उल्लू बोलता है
जब वह मुँह खोलता है
सच और झूठ नहीं तोलता है
यही उसकी भूल
और खता है
दुनिया को इस बात का पता है

रचनाकाल: ०९-०६-१९७६, मद्रास