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कातिक महीना ऐलै हो भैया / जटाधर दुबे

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कातिक महीना ऐलै हो भैया
गंगा माय केॅ मीट्ठोॅ पानी से,
पाप धोवै केॅ दिन ऐलै हो भैया
कातिक महीना ऐलै हो भैया।

नोन तेल लकड़ी के चक्कर
सालोॅ भर लागलेॅ रहै छै,
झूठ आरू सच के खेल में भैया
जिनगी के दिन भागलोॅ जाय छै।
उठना छै, हमरा तेॅ उठबै
अहंकार धोखा फ़रेब में,
जिनगी सब्भेॅ फँसलोॅ जाय छै।
मनोॅ में भरलोॅ कबाड़ से
मुक्ति के दिन ऐलै हो भैया,
पाप धोवै के दिन ऐलै हो भैया
कातिक महीना ऐलै हो भैया।

संगत जहाँ छेलै एŸोॅ दिन के
झूठ-साँच कुछ समझै में नै आवै,
राष्ट्र भक्ति भी समझ नै आवै
व्यक्तिवाद, परिवारवाद में
हानि देश के समझ नै आवै,
कŸोॅ कहलौ, कŸोॅ सुनलौ
जिनगी के सच समझ नै आवै,
साथ-साथ जिनगी जियै के
सही समय अब ऐलै हो भैया,
वोट परब आबेॅ ऐलै हो भैया

पाप धोवै के दिन ऐलै हो भैया
कातिक महीना ऐलै हो भैया।

जे संस्कार धर्म में जीलौं,
हाय, बहुत गरियैलौं ओकरा
जे समाज ने गौरव देलकै,
हाय, बहुत लतियैलौं ओकरा
दुख बेटी के, दुख किसान के,
राजनीति चश्मा से देखलौं
देश जननी के टुकड़ा टुकड़ा
चाहे जकरो संगत करलौं
अपनो संस्कृति में लौटे के,
मन्दिर मन्दिर सिर नवाय के,
सही समय अब ऐलै हो भैया।
पाप धोवै के दिन ऐलै हो भैया।
कातिक महीना ऐलै हो भैया।

माय-बाप के सेवा करि केॅ
करोॅ सकारथ जीवन भैया
सबसे मिट्ठोॅ वचन कही केॅ,
प्रेम भाव फैलावो भैया,
जे गरीब छै, जे अशक्त छै,
ओकरोॅ मदद करो हो भैया।
सच्चाई के रस्ता धरिकेॅ,
जग कल्याण करो हो भैया।
जीवन के जे चन्द समय छै,
ओकरा सफल करो हो भैया।
कातिक महीना ऐलै हो भैया।
कातिक महीना ऐलै हो भैया॥