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कातिल की शिनाख्त / पल्लवी मिश्रा

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अजल के बाद
जब
हमारी रूह
पहुँची खुदा के पास
मुझसे मेरे ही कातिल का
नाम पूछा गया;
उसका पता और
मुकाम पूछा गया।
इतना ही नहीं
शिनाख्त के वास्ते
नामों की
एक लम्बी फेहरिस्त भी सुनाई गई,
मगर मैंने कहा,
नहीं, इन नामों में कोई
मेरा कातिल नहीं हो सकता है,
क्योंकि,
मैंने इनमें से किसी का
कुछ भी भला नहीं किया है।
शायद आपने
मेरे दोस्तों का नाम छोड़ दिया है,
परन्तु इसमें आपकी कोई खता नहीं है;
दरअसल,
अपनी ही बनाई दुनिया के,
दस्तूर का,
आपको पता नहीं है।
यहाँ गैर नहीं,
अपने ही बिगाड़ करते हैं;
जिन पर यकीं कीजिए
वही पीठ पीछे
खंजर से वार करते हैं।
मुझे भी किसी ने भलाई करने का ही
यह सिला दिया है,
किसी अजीज ने ही मुझको
धोखे से जहर पिला दिया है।