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कादम्बरी / पृष्ठ 20 / दामोदर झा

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19.
हमरो निशि-दिन ई चिन्ता अचिकित्स्य रोग सन
प्रिये हृदय शंकु बनल टीसै अछि अनुखन।
विफल हमर ई राज्य, विफल सम्पत्ति सकल धन
विफल हमर संभोग, विफल हमरो अछि जीवन॥

20.
भेलहुँ पूर्वजन्मकृत पापे हमहिं अभागल
पुत्र अहाँके नहि देखल छातीमे लागल।
कहिया भाग्यहीनके पुत्र खेलओना मङितय
हमरो खींचत मोछ हाथके ऊपर टङितय॥

21.
एहन मनोरथ हमरा सङ लगले ई जायत
पितर स्वर्ग बसि कुलमे जलदाता नहि पायत।
इत्यादिक किछ बाजि आँखिसँ नोर बहबिते
विकल छला महिपाल प्रिया केर गरदनि लगिते॥

22.
सुनलनि ई शुकनास राज्य केर जे छथि मन्त्री
ओहो सहै छथि पुत्रहीनता कृत विधि यन्त्री।
विनु सन्ताने हुनको घर गृहिणी कनिते छलि
इष्टदेवता सबके नित कबुला करिते छलि॥

23.
स्वामिक दुख दुख मानि सचिव से लगले अयला
अपना घर दुख बात वदन मे नहि किछ लयला।
कहलनि धैरज बान्हि भूप, किछ होस सम्हारू
के अपने, की काज करै छी, हृदय बिचारू॥