कादम्बरी / पृष्ठ 77 / दामोदर झा

5.
दूरो रहने अहाँ दुहू केर प्रीति मनोहर
युग युग बढ़त अबाध जेना छथि नलिनी दिनकर।
कादम्बरी कहल सखि, की अनुरोध करै छी
छथि स्वच्छन्द कुमार हिनक अन हमहुँ चरै छी।

6.
जाथु यथारुचि आबथु जहिआ मनमे आबनि
सब समृद्धि ई हिनके रहथु जतय मन भावनि।
एतबा कहि गन्धर्व कुमारक गण बजबाओल
सेनामे पहुँचाउ कुमरके ई कहबाओल॥

7.
उठला चन्द्रापीड़ महाश्वेताके प्रणमल
कादम्बरिहि विलोकल दुहु लोचन छल उमड़ल।
कहलनि देवि बहुत कहने विश्वास गमायब
परिजन चर्चामे कहिओ हमरहुँ मन लायब॥

8.
एतबा कहि फाटक पर जा इन्द्रायुध चढ़ला
शत गन्धर्व कुमारक सङ शिवगिरि दिशि बढ़ला।
तावत सेना इन्द्रायुध केर खर अनुसरने
पटगृहसँ अच्छोदक छल दक्षिण तट भरने॥

9.
ततय पहुँचि गन्धर्व सबहिके आपस कयलनि
शिविर प्रविशितहिं सब परिजन केर मोद बढ़ओलनि।
वैशम्पायन सहित पत्रलेखा सङ लेलनि
वर्णन कयलनि निश्छल सबटा जे जे भेलनि॥

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