ककड़ी जैसी बांहें तेरी झुलस झूर जाएंगी
पपड़ जाएंगे होंठ गदबदे प्यासे-प्यासे
फिर भी मन में रखा घड़ा ठण्डे-मीठे पानी का
इस भीषण निदाघ में तुझको आप्लावित रक्खेगा
अलबत्ता
लली, घाम में जइये, तौ छतरी लै जइये
ककड़ी जैसी बांहें तेरी झुलस झूर जाएंगी
पपड़ जाएंगे होंठ गदबदे प्यासे-प्यासे
फिर भी मन में रखा घड़ा ठण्डे-मीठे पानी का
इस भीषण निदाघ में तुझको आप्लावित रक्खेगा
अलबत्ता
लली, घाम में जइये, तौ छतरी लै जइये