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कानो बड़ाई करो बीर हनुमान की / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कानों बड़ाई करों बीर हनुमान की।
सिंधु पार कूंद पड़े बाग तो उजार आये
लंका जलाये आये, छन में रावण की। कानों...
रावण के देश गये, सिया खों संदेश दये
मुद्रिका को तो दे आये,
सिया खों राजा राम की। कानों...
कहते हैं रामचंद्र सुनो भैया लक्ष्मण,
होते न हनुमान तो पाउते न जानकी। कानों...
तुलसीदास आस रघुबर की,
निसदिन मैं गाऊँ, श्री रामचंद्र जानकी। कानों...