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कान हमारे अब न छूना / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
अभी अभी कानून बना है।
कान खींचना यहाँ मना है।
कान खींच की सज़ा बहुत है।
अब न सोचना, मज़ा बहुत है।
इन्हें खींच जो लाल करेगा।
जुर्माना वह रोज भरेगा।
नहीं भरा तो होगा दूना।
कान हमारे अब न छूना।