भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कामनाओं की समाधि / कविता भट्ट
Kavita Kosh से
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
कामनाओं की समाधि पर
कुछ पुष्प चढ़ाया करती हूँ।
झूमती हूँ इक नाटक कर
फिर पग बढ़ाया करती हूँ।
न रूप, न रंग, न शब्द पर
अब मुस्कराया करती हूँ।
स्पर्श, गंध से विलग होकर
अनेकश: मर जाया करती हूँ।
-0-