भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कामना - १ / यदुनाथ झा 'यदुवर'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

विद्या ओ विभवसँ ई देश सदा युक्त हो,
पर मूर्खता आलस्य आदिसँ विमुक्त हो,
शिल्प कला आदि सँ कीर्ति प्रयुक्त हो,
घर घर से मधुर गान सदा साम-सूक्त हो।
सभ लोकमे उत्साह ओ धर्मक प्रचार हो,
होऔ नष्ट अनाचार, सबहि शुभ विचार हो,
सबहि एकताक सूत्र-ग्रथित बन्धुहार हो,
निज देश, जाति, वाणि-भक्त ओ उदार हो।
मंगल मूरति श्रीरघुनन्दन
सन्त सुहृद मुनिजन उर चन्दन
सकल सिद्धि दायक दुख भंजन
भवतारण कारण जन रंजन
निज जन पालक दुष्ट निकन्दन
सकल चराचर सँ जग वन्दन
देशक हितकारक करु सब जन
यदुवर तनिक चरण रज सुमिरन